राजकुमारी नयना एक दृढ़ निश्चय वाली कन्या थी। उसने अपने पति के प्राणों की रक्षा करने का निश्चय कर लिया था। जैसे-कैसे तीन दिन बीत गए। राजा हिम और राजकुमारी नयना ने चौथे दिन का इंतजार पूरी तैयारी के साथ किया। उनकी योजना के अनुसार, जिस किसी भी मार्ग से सांप के आने की आशंका थी वहां पर सोने-चांदी के सिक्के और हीरे-जवाहरात बिछा दिए गए। पुरे महल को रात-भर के लिए रोशनी से जगमगाया गया ताकि सांप को आते हुए आसानी से देखा जा सके। यही नहीं राजकुमारी नयना ने सुकुमार को भी सोने नहीं दिया और निवेदन किया की आज हम कहानी सुनना चाहते हैं। राजकुमार सुकुमार नयना को कहानी सुनाने लगे।
मृत्यु का समय निकट आने लगा और मृत्यु के देवता यमराज पृथ्वी की ओर प्रस्थान करने लगे। क्योंकि सुकुमार की मृत्यु का कारण सर्प दंश था इसलिए यमराज ने सांप का रूप धारण किया और महल के भीतर राजकुमार सुकुमार और राजकुमारी नयना के कक्ष में प्रवेश करने का प्रयास किया। जैसे ही वह सांप के वेश कक्ष में दाखिल हुए तो हीरे-जवाहरातों की चमक से उनकी आँखे चौंधियां गई। जिस वजह से सांप को प्रवेश के लिए कोई अन्य मार्ग खोजना पड़ा।
जब वहाँ से कक्ष में दाखिल होना चाहा तो सोने
और चांदी के सिक्कों पर रेंगते हुए सिक्कों का शोर होने लगा। जिससे राजकुमारी नयना चौकस हो
गईं। अब राजकुमारी नयना ने अपने हाथ में एक तलवार भी पकड़ ली और राजकुमार को कहानी सुनाते
रहने को कहा। डसने का मौका ना मिलता देख सांप बने यमराज
को एक ही स्थान पर कुंडली मर कर बैठना पड़ा। क्योंकि अब यदि वह थोड़ा-सा भी हिलते तो सिक्को की आवाज
से नयना को ज्ञात हो जाता की सर्प कहाँ है और वह उसे तलवार से मार डालती।
राजकुमार सुकुमार ने पहले एक कहानी सुनाई, फिर दूसरी कहानी सुनाई और इस प्रकार
सुनाते-सुनाते कब सूर्यदेव ने पृथ्वी पर दस्तक दे दी
पता ही नहीं चला अर्थात अब सुबह हो चुकी थी। क्योंकि अब मृत्यु का समय जा चूका था
यमदेव राजकुमार सुकुमार के प्राण नहीं हर सकते थे, अतः वे
वापस यमलोक चले गए। और इस प्रकार राजकुमारी नयना ने
भविष्यवाणी को निष्फल करते हुए अपने पति के प्राणों की रक्षा की।
राजकुमार सुकुमार कभी नहीं जान पाए कि उनकी
कुंडली का क्या रहस्य था। क्यों उनकी पत्नी ने विवाह के चौथे दिन कहानी सुनने का
निवेदन किया और आखिर क्यों कहानी सुनते हुए उन्होंने तलवार थाम ली
थी?
कहानी समाप्त...
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