बुद्धी की शक्ति | कुत्ते की सूझ-बुझ

कुत्ते की सूझ-बुझ

एक बार की बात है, एक कुत्ता अपने गांव से अपने दोस्त के गांव जाते हुए रास्ता भटक गया। सही रास्ते की खोज में इधर-उधर भटकते हुए वह एक जंगल से गुज़र रहा था। जंगल में काफ़ी देर तक चलने पर भी उसे सही रास्ता नहीं मिल पाया। जैसे-जैसे वो जंगल के भीतर चलता गया, जंगल घना होता चला गया। अब उसे थोड़ा डर भी लगने लगा था।

थोड़ी देर और चलने पर अचानक उसकी नज़र दूर सामने से आ रहे शेर पर पड़ी। शेर को आता देख कुत्ते के होश फाख़्ता हो गए। उसने सोचा आज तो मैं शेर का भोजन बन ही जाऊंगा। अब इतने घने जंगल में भला वह भागता भी तो कहाँ... जंगल के रास्तों से वह अनजान था। अगर वह उसी रास्ते वापिस भी भागता तो शेर की दौड़ के सामने उस पिद्दी-सी कुत्ते की मजाल ही क्या थी..?

उसे कुछ सूझ नहीं रहा था कि आखिर क्या किया जाये। वह अभी ये सोच ही रहा था कि क्या किया जाए तभी उसकी नज़र पास के एक पेड़ के नीचे पड़ी हुई पुरानी व रुखी-सूखी हड्डियों पर पड़ी। उसके दिमाग की घंटी घूमी और उसे एक आईडिया सुझा।

वह जल्दी से उन हड्डियों की तरफ़ मुंह करके बैठ गया और एक हड्डी को मुँह में डालकर शेर के नज़दीक आने का इंतज़ार करने लगा। जब उसे लगा कि शेर अब काफ़ी पास आ चुका है तो ज़ोर-ज़ोर से भौंकते हुए बोलने लगा - अरे वाह! आज तो मज़ा ही आ गया। इस जंगल के शेर तो बहुत ही स्वादिष्ट हैं। अभी मुझे इस जंगल में आये हुए दो दिन ही हुए हैं और ये मेरा दूसरा शेर था। आज का कोटा तो फुल हो गया। अब अगर कल के लिए एक-आध शेर और मिल जाए तो कल का जुगाड़ भी हो ही जाएगा। इतना कहते हुए कुत्ते ने ज़ोर-जोर से एक ढकार मारना शुरू कर दिया

शेर जो कुत्ते से महज़ कुछ मीटर की दुरी पर एक झाड़ी के पीछे छुपा हुआ था, ने कुत्ते को ऐसा करते हुए देख लिया और सोचने लगा, "अरे बाप रे..! ये कुत्ता... ये कुत्ता तो इस जंगल का नहीं लगता, लगता है शहर से आया है और ये तो शेरों का शिकार भी करता है, लगता है शहरों के कुत्ते शेरों का शिकार भी कर लेते हैं। मेरे यहाँ से निकलने में ही समझदारी है।" इतना सोचकर शेर चुप-चाप उल्टे पाँव लौट गया।

जिस पेड़ के नीचे कुत्ता बैठा हुआ था उसी पेड़ पर एक बंदर बैठा हुआ था जिसने ये सब देख लिया। बन्दर निहायत ही धूर्त था उसने सोचा क्यों न मैं जाकर शेर को ये सब बताऊं। इससे एक तो भविष्य में शेर से मुझे डरना नहीं पड़ेगा और दूसरे बाकी जानवर भी मुझसे ख़ौफ खायेंगे।

बन्दर पेड़ से चिल्लाया, "ओए कुत्ते! साले... तुने शेर को बेवकूफ बनाया। ठहर जा मैं अभी शेर को ये सब बताता हूँ। इतना कहकर बंदर, कुत्ते की हकिक़त शेर को बताने के लिए उसके पीछे हो लिया। इससे पहले कि कुत्ता कुछ कह पाता बन्दर ने छलांगे मारना शुरू कर दिया। कुत्ते ने पहले थोड़ी सांस ली, फिर सोचने लगा, "अब मैं क्या करूँ? बन्दर तो मेरी सारी पोल खोल के रख देगा। और अभी शेर भी कुछ खास दुरी पर नहीं गया होगा, अगर मैं यहाँ से भागना भी चाहूँ तो शेर मेरी गंद सूंघते हुए मुझे पकड़ ही लेगा।" कुत्ता फिर से सोच में पड़ गया

उधर बंदर ने शेर को पूरी कहानी सुनाई कि किस तरह कुत्ते ने उसे बेवकूफ़ बनाया। बंदर की बातें सुनकर शेर गुस्से से तिलमिला उठा।

शेर बोला - उस पिद्दी-से कुत्ते की ये मजाल जो उसने मुझे... जंगल के राजा को उल्लू बनाया। अब वो मेरे पंजों से नहीं बचेगा। मैं अभी के अभी उसे स्वर्ग का मार्ग दिखाता हूँ।

यह कहकर शेर बंदर के साथ पुनः उसी जगह के लिए चल दिया।

इतनी देर में कुत्ते का दिमाग फिर से चल पड़ा था। जब कुत्ते ने देखा कि शेर एक बार फिर से उसकी तरफ आ रहा है तो कुत्ता एक बार फिर उसी तरह से हड्डियों की तरफ मुंह करके बैठ गया।

बन्दर शेर के पीछे-पीछे चला आ रहा था। शेर धीरे-धीरे उसकी तरफ बढ़ रहा था। तभी कुत्ता ज़ोर से चिल्लाया - "हे ईश्वर..! अब तो किसी पर भरोसा करना भी मुश्किल हो गया है। इस कमिने बंदर को शेर को लाने भेजा था, इतना वक्त हो गया वह अभी तक नहीं आया। पहले तो घड़ियाली आंसू बहाकर अपने प्राण बचाकर भागता है और ऊपर से शेर को मेरे पास लाने का झूठा वादा भी करता है। लगता है अब उस बन्दर को खोजकर उसी को नाश्ता बनाना पड़ेगा।"

जब शेर ने ये सब सुना तो उसके कदम वहीं पर जम गए। उसकी आगे बढ़ने की हिम्मत ही नहीं हो पाई और वह वहीं से दबे पाँव लौट गया।

जब काफ़ी देर तक कोई हलचल नहीं हुई तो कुत्ते को भरोसा हो गया कि शेर वहां से भाग गया है। कुत्ते ने अपने चारों ओर नज़र दौड़ाई और उलटे पाँव जंगल से भाग गया

"शिक्षा: संकट के समय हार मानने से कुछ नहीं होता, अपनी बुद्धी का सही प्रयोग करने से किसी भी प्रकार के संकटों से बचा जा सकता है."
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