सबसे बड़ी जीत

सबसे बड़ी जीत

एक बार की बात है, यूनान देश के प्रसिद्ध तत्वज्ञानी पेरिकिल्स से एक व्यक्ति अत्यंत अप्रसन्न हो गया. अपनी अप्रसन्नता और क्रोध के वशीभूत होकर वह व्यक्ति पेरिकिल्स के घर जाकर उन्हें बुरा-भला कहने लगा. क्रोध में उसे किसी भी बात का कोई होश नहीं था. वह जैसे पागल सा हो गया था. उसने पेरिकिल्स को ना जाने कितनी ही गालियाँ और अपशब्द कहे. लेकिन इतना कुछ सुनने के बाद भी पेरिकिल्स एकदम चुपचाप उसकी बातें सुन रहे थे.

उस व्यक्ति का क्रोध तब भी शांत नहीं हुआ. पेरिकिल्स को गालियाँ सुनाते-सुनाते सुबह से दोपहर हो गया लेकिन वह पेरिकिल्स पर अपने शब्दों की बाण वर्षा से नहीं रुका. इसी तरह जब सुबह से दोपहर और दोपहर से शाम हो गई तो उस आदमी का शरीर थकान और भूख से चूर-चूर हो गया. उसके पास अपने घर तक जाने की ताकत भी नहीं रही.

पेरिकिल्स ने अपने नौकर को बुलाया और धीरे-से उसके कान में फुसफुसाया, "भीतर से लालटेन लो, और इस व्यक्ति को इसके घर तक सही-सलामत छोड़ कर आओ." नौकर ने वैसा ही किया.

वह व्यक्ति रास्ते में भी पेरिकिल्स के नौकर से पेरिकिल्स की बुराइयां करने लगा. अपने स्वामी के बारे में इतने कठोर शब्द सुनकर नौकर से रहा ना गया और वह बोला, "देखो भाई! मैं नहीं जानता कि तुम मेरे मालिक से किस लिए रुष्ट हो लेकिन आज जो मैं तुम्हें घर छोड़ने जा रहा हूँ यह मेरे मालिक ने ही मुझे कहा है. उन्होंने कहा है कि देखना यह व्यक्ति रास्ते में कहीं ठोकरें खाकर गिर ना जाए, इसलिए यह लालटेन भी साथ में दी है." यह सुनकर वह व्यक्ति बहुत अपने आप पर बहुत लज्जित हुआ और उसने अगले दिन सुबह जाकर पेरिकिल्स से अपने शर्मनाक कृत्य के लिए माफ़ी मांगी.

शिक्षा: अपने विरोधियों के साथ सहिष्णुता का व्यवहार करने से ना केवल विरोध दूर हो जाता है बल्कि विरोधी उल्टा एक बंधन में बंध जाता है. "महान प्लेटो ने कहा था कि सबसे बड़ी जीत अपने विरोधी के हृदय को जीत लेना है."
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