राजकुमारी नयना
पुराने समय की बात है एक राजा हुआ करते थे और उनका नाम हिम था।
राजा हिम के यहाँ जब पुत्र हुआ तो उन्होंने अपने पुत्र का नाम सुकुमार रखा और अपने
राजपुरोहित से अपने पुत्र की जन्म-कुंडली बनवाई।
कुंडली बनाने के उपरांत राजपुरोहित कुछ चिंतित हुए। उनकी चिंताग्रस्त मुद्रा को देखकर राजा हिम ने उनसे पूछा - क्या बात है राजपुरोहित जी! आप कुछ चिंता में लग रहे हैं? हमारे पुत्र की कुंडली में कोई दोष है क्या?
राजपुरोहित राजा की बात सुनकर बोले - नहीं महाराज ऐसी बात नहीं है... कदाचित मैंने कुंडली बनाते समय कोई असावधानी की होगी जिस कारण से मुझे जन्म-कुंडली में कुछ दुश्घटना दिखाई दे रही है। मेरा सुझाव है की आप एक बार इसे राज्य के प्रसिद्ध ज्योतिष से करवा लें।
राजा थोड़े से आशंकित हुए और फिर से पूछा - पुरोहित जी! हमें आप
द्वारा बनाई हुई जन्म-कुंडली में कोई भी संदेह नहीं है, आप वर्षों से हमारे
विश्वासपात्र रहे हैं। कृपया आप हमें बताएं कि क्या बात है?
राजपुरोहित ने कहा - महाराज! राजकुमार की जन्म-कुंडली की गणना करने
पर हमें यह ज्ञात हुआ है की राजकुमार अपने विवाह के उपरांत चौथे ही दिन सर्प के
काटने से मृत्यु को प्राप्त हो जायेंगे।
राजा हिम तिलमिलाते हुए चिल्लाये - राजपुरोहित जी...! ये आप क्या
कह रहे हैं...? अवश्य
ही आप की गणना में कोई त्रुटी हुई है, एक बार पुनः से कुंडली
को ध्यानपूर्वक देखें। यदि आप हमारे राजपुरोहित न होते हो कदाचित आप इस समय
मृत्युशैया पर लेटे होते।
राजा हिम के क्रोध को देखकर राजसभा में सभी डर गए। पुरोहित ने
हिम्मत करते हुए कहा - क्षमा करें राजन..! किन्तु यदि आप को कोई शंका है तो आप
मेरे द्वारा दिए गए सुझाव पर अमल कर सकते है।
उसके बाद राजा हिम ने अपने पुत्र की जन्म-कुंडली राज्य के 3-4 प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों से
बनवाई। किन्तु परिणाम वही रहा। महाराज हिम और उनकी
पत्नी अत्यंत चिंतित रहने लगे। राजा ने दरबार में सभी को चेतावनी दी कि कोई भी इस
बात का वर्णन हमारे पुत्र के समक्ष न करे अन्यथा परिणाम भयंकर होंगे। राजा हिम को
भय था कि यदि उनके पुत्र को इस बात का पता चल गया तो कहीं वह मृत्यु की चिंता में ही मर जाये।
खैर...! समय बीतता गया और राजकुमार सुकुमार बड़े होने लगे। अंततः
वह समय आ गया जब राजकुमार की आयु विवाह योग्य हो गयी और आस-पास के कई राज्यों से
राजकुमार के लिए सुन्दर राजकुमारियों के विवाह प्रस्ताव आने लगे। परन्तु अपने पुत्र
की मृत्यु के भय से राजा किसी भी प्रस्ताव को स्वीकृति
नहीं दे पा रहे थे।
यह देखकर महारानी ने कहा - महाराज! यदि आप इसी प्रकार सभी राजाओं
के विवाह प्रस्तावों को
अस्वीकृत कर देंगे तो हमारा पुत्र क्या सोचेगा? जन्म-कुंडली
के भय से हम अपने पुत्र को उम्र भर के लिए कुंवारा तो नहीं रख सकते। और फिर मृत्यु
तो सर्प के काटने से होगी, यदि हम महल में सुरक्षा व्यवस्था
बढ़ा दें तो कदाचित सर्प के राजकुमार के पास पहुँचाने से पूर्व ही हम उस सर्प को
मार गिराएं। राजा हिम को महारानी का सुझाव पसंद आया और
उन्होंने एक सुन्दर राजकुमारी से जिसका नाम नयना था, से अपने पुत्र के विवाह के लिए स्वीकृति दे दी। राजकुमारी नयना देखने में
जीतनी सुन्दर थी, बुद्धि भी उतनी
ही प्रखर थी।
विवाह से पूर्व राजा ने अपने पुत्र की जन्म-कुंडली में निहित
भविष्यवाणी को कन्या पक्ष को भी बता दिया। पहले तो वधु के पिता ने इस सम्बन्ध से
साफ इनकार कर दिया। किन्तु जब यह बात राजकुमारी नयना को पता चली तो उन्होंने अपने
पिता से निवेदन किया की आप विवाह के लिए अपनी मंजूरी दे दें। अपनी पुत्री की बात
को राजा ठुकरा न सके और विवाह के लिए आशंकित मन से विवाह के लिए हामी दे दी।
विवाह अच्छी तरह से सम्पन हुआ।
...तो क्या सच में विवाह के चौथे दिन राजकुमार
सुकुमार की मृत्यु हो गई? क्या राजकुमारी नयना ने अपने पति के प्राणों की रक्षा की? जानने के लिए पढ़िए राजकुमारी नयना का निश्चय - II" अगले हफ्ते...।
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राजकुमारी नयना
पुराने समय की बात है एक राजा हुआ करते थे और उनका नाम हिम था।
राजा हिम के यहाँ जब पुत्र हुआ तो उन्होंने अपने पुत्र का नाम सुकुमार रखा और अपने
राजपुरोहित से अपने पुत्र की जन्म-कुंडली बनवाई।
कुंडली बनाने के उपरांत राजपुरोहित कुछ चिंतित हुए। उनकी चिंताग्रस्त मुद्रा को देखकर राजा हिम ने उनसे पूछा - क्या बात है राजपुरोहित जी! आप कुछ चिंता में लग रहे हैं? हमारे पुत्र की कुंडली में कोई दोष है क्या?
राजपुरोहित राजा की बात सुनकर बोले - नहीं महाराज ऐसी बात नहीं है... कदाचित मैंने कुंडली बनाते समय कोई असावधानी की होगी जिस कारण से मुझे जन्म-कुंडली में कुछ दुश्घटना दिखाई दे रही है। मेरा सुझाव है की आप एक बार इसे राज्य के प्रसिद्ध ज्योतिष से करवा लें।
राजा थोड़े से आशंकित हुए और फिर से पूछा - पुरोहित जी! हमें आप
द्वारा बनाई हुई जन्म-कुंडली में कोई भी संदेह नहीं है, आप वर्षों से हमारे
विश्वासपात्र रहे हैं। कृपया आप हमें बताएं कि क्या बात है?
राजपुरोहित ने कहा - महाराज! राजकुमार की जन्म-कुंडली की गणना करने
पर हमें यह ज्ञात हुआ है की राजकुमार अपने विवाह के उपरांत चौथे ही दिन सर्प के
काटने से मृत्यु को प्राप्त हो जायेंगे।
राजा हिम तिलमिलाते हुए चिल्लाये - राजपुरोहित जी...! ये आप क्या
कह रहे हैं...? अवश्य
ही आप की गणना में कोई त्रुटी हुई है, एक बार पुनः से कुंडली
को ध्यानपूर्वक देखें। यदि आप हमारे राजपुरोहित न होते हो कदाचित आप इस समय
मृत्युशैया पर लेटे होते।
राजा हिम के क्रोध को देखकर राजसभा में सभी डर गए। पुरोहित ने
हिम्मत करते हुए कहा - क्षमा करें राजन..! किन्तु यदि आप को कोई शंका है तो आप
मेरे द्वारा दिए गए सुझाव पर अमल कर सकते है।
उसके बाद राजा हिम ने अपने पुत्र की जन्म-कुंडली राज्य के 3-4 प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों से
बनवाई। किन्तु परिणाम वही रहा। महाराज हिम और उनकी
पत्नी अत्यंत चिंतित रहने लगे। राजा ने दरबार में सभी को चेतावनी दी कि कोई भी इस
बात का वर्णन हमारे पुत्र के समक्ष न करे अन्यथा परिणाम भयंकर होंगे। राजा हिम को
भय था कि यदि उनके पुत्र को इस बात का पता चल गया तो कहीं वह मृत्यु की चिंता में ही मर जाये।
खैर...! समय बीतता गया और राजकुमार सुकुमार बड़े होने लगे। अंततः
वह समय आ गया जब राजकुमार की आयु विवाह योग्य हो गयी और आस-पास के कई राज्यों से
राजकुमार के लिए सुन्दर राजकुमारियों के विवाह प्रस्ताव आने लगे। परन्तु अपने पुत्र
की मृत्यु के भय से राजा किसी भी प्रस्ताव को स्वीकृति
नहीं दे पा रहे थे।
यह देखकर महारानी ने कहा - महाराज! यदि आप इसी प्रकार सभी राजाओं
के विवाह प्रस्तावों को
अस्वीकृत कर देंगे तो हमारा पुत्र क्या सोचेगा? जन्म-कुंडली
के भय से हम अपने पुत्र को उम्र भर के लिए कुंवारा तो नहीं रख सकते। और फिर मृत्यु
तो सर्प के काटने से होगी, यदि हम महल में सुरक्षा व्यवस्था
बढ़ा दें तो कदाचित सर्प के राजकुमार के पास पहुँचाने से पूर्व ही हम उस सर्प को
मार गिराएं। राजा हिम को महारानी का सुझाव पसंद आया और
उन्होंने एक सुन्दर राजकुमारी से जिसका नाम नयना था, से अपने पुत्र के विवाह के लिए स्वीकृति दे दी। राजकुमारी नयना देखने में
जीतनी सुन्दर थी, बुद्धि भी उतनी
ही प्रखर थी।
विवाह से पूर्व राजा ने अपने पुत्र की जन्म-कुंडली में निहित
भविष्यवाणी को कन्या पक्ष को भी बता दिया। पहले तो वधु के पिता ने इस सम्बन्ध से
साफ इनकार कर दिया। किन्तु जब यह बात राजकुमारी नयना को पता चली तो उन्होंने अपने
पिता से निवेदन किया की आप विवाह के लिए अपनी मंजूरी दे दें। अपनी पुत्री की बात
को राजा ठुकरा न सके और विवाह के लिए आशंकित मन से विवाह के लिए हामी दे दी।
विवाह अच्छी तरह से सम्पन हुआ।
विवाह अच्छी तरह से सम्पन हुआ।
...तो क्या सच में विवाह के चौथे दिन राजकुमार
सुकुमार की मृत्यु हो गई? क्या राजकुमारी नयना ने अपने पति के प्राणों की रक्षा की? जानने के लिए पढ़िए राजकुमारी नयना का निश्चय - II" अगले हफ्ते...।