बाबा की मंत्रणा ही बिगड़ गयी...!

बाबा की मंत्रणा

एक बार एक साधू बाबा दरबार में बैठे थे और भक्त अपनी दुखभरी कहानियाँ सुनाकर बाबा से उपाय के रूप में सलाह मांग रहे थे।

एक भक्त: साधू बाबा की जय हो। बाबा मुझे कोई रास्ता दिखाओ, मेरी शादी तय नहीं हो रही, अतः मैं आपकी शरण में आया हूँ।

बाबा: आप काम क्या करते हो?

भक्त: शादी होने के लिए कौन सा काम करना उचित रहेगा?

बाबा: तुम मिठाई की दूकान खोल लो।

भक्त: अरे बाबाजी!, वो तो मेरे पिताजी ने पिछले 30 साल पहले ही खोल दी थी और पिछले 05 सालों से मैं ही दुकान का सारा काम-काज देख रहा हूँ। आप कोई और उपाय बताएं

बाबा: अच्छा तो शनिवार को सुबह 11 बजे दुकान खोला करो। अवश्य फ़ल मिलेगा

भक्त: बाबा जी, मेरी दुकान शनि मंदिर के बगल में ही है और मैं रोज़ सुबह 11:00 बजे ही खोलता हूँ।

बाबा: तो फिर, काले रंग के कुत्ते को मिठाई खिलाया करो।

भक्त: बाबा! मेरे घर दो काले कुत्ते है और मैं हर रोज़ सुबह-शाम उन्हें बर्फ़ी का एक-एक टुकड़ा खिलाता हूँ।

अब बाबा को झुंझलाहट होने लगी, वह बोला: अच्छा तो सोमवार को मंदिर जाया करो।

भक्त: अरे बाबा! सोमवार तो क्या मैं तो हर रोज मंदिर जाता हूँ और दर्शन किये बगैर भोजन को हाथ तक नहीं लगाता। आप कुछ और सुझाइए।

अब बाबा ने बात को थोड़ा बदलते हुए पूछा: अच्छा बताओ, कितने भाई बहन हो?

भक्त भी चालाक था, इसलिए उसने बाबा के सवाल का जवाब फिर से सवाल पूछकर दिया, वह बोला: अच्छा..! ये बताइए बाबाजी! आपके हिसाब से शादी तय होने के लिए कम-से-कम और ज्यादा-से-ज्यादा कितने भाई-बहन होने चाहिए?

अब बाबा परेशान हो गया था, वह बोला: बेटा! दो भाई और एक बहन होनी चाहिए।

भक्त खुशी से झूमते हुए बोला: अरे वाह बाबाजी, मेरे असल में दो भाई और एक बहन ही है। फिर चेहरे पर थोड़ी मायूसी लेकर बोला, लेकिन फिर भी मेरी शादी तय क्यों नहीं हो पा रही?'

बाबा: बेटा! दान-वान किया करो।

भक्त: बाबाजी, दान का तो आप बोलो ही मत। इसके लिए मैंने एक अनाथ-आश्रम खोल रखा है, और वहां पर रोज़ दान करता हूँ।

अब बाबा के बस से बाहर हो चला था इसलिए वह फिर बोला: बेटा! किसी तीर्थ स्थान हो आओ। तुम्हारी शादी अवश्य तय हो जायेगी, और अब यहाँ से प्रस्थान करो मुझे अन्य भक्तों की समस्याओं का भी निवारण करना है

भक्त: बाबाजी, प्रस्थान से पहले मैं अपनी समस्या का निवारण तो पा लूँ। वैसे आप के हिसाब से शादी तय होने के लिए कितने बार तीर्थ जाना जरुरी है?

बाबा की पीछा छुड़ाने की कोशिश नाकाम हो गई, वह बोला: बेटा! जिंदगी में एक बार तो जाना ही चाहिए।

भक्त: बाबा तो मैं तीन बार जा चूका हूँ। और वो भी काशी-विश्वनाथ और अमर-नाथ। लेकिन फिर भी...!

बाबा से रहा नहीं जा रहा था, मुख पर नकली मुस्कुराहट लेकर एक बार फिर से उस भक्त को उपाय सुझाते हुए बोला: देखो बेटा! यदि पहले के सभी उपाय तुमने कर लिए हैं तो यह अंतिम उपाय अवश्य काम करेगा। तुम नीले रंग की शर्ट पहना करो।

भक्त: अरे बाबाजी, मेरे पास तो सिर्फ नीले रंग के ही कुर्ते हैं, कल सारे धोने के लिए दिए थे इसलिए आज यह सफ़ेद कमीज़ पहनी है, वरना नीला रंग तो मेरी पहचान है। कल मेरे सारे कुर्ते वापिस मिलेंगे तो मैं सिर्फ वही पहनूंगा।

बाबा शांत होकर ध्यान करने लगते हैं।

भक्त: बाबा, एक बात कहूँ?

एक लंबी आह भरते हुए बाबा बोले: हां ज़रूर, बोलो बेटा जो बोलना है।

भक्त: मैं पहले से ही शादी-शुदा हूँ और तीन बच्चों का बाप भी हूँ इधर से गुजर रहा था, सोचा तुम्हें उँगली करता चलूँ।

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